भौतिक प्रकृति परमात्मा की एक ऐसी व्यवस्था है कि सभी मनुष्यों द्वारा मनुष्य योनि में किये हुए पाप-पुण्य कर्मों का दुख-सुख रुपी फल आना निश्चित बना रहता है। संसार के सुख रुपी फलों को भोग कर आज तक किसी भी मनुष्य का कल्याण नहीं हुआ और न ही भविष्य में कभी कल्याण हो सकेगा.....सुधीर भाटिया फकीर
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