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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

प्रत्येक मनुष्य/जीव स्वाभाविक ही अनादिकाल से सदा ही दुखरहित सुख यानी आनंद की तलाश में ही प्रयत्नशील रहता है। यह आनंद केवल और केवल परमात्मा को पाकर ही मिलेगा और यह तभी संभव हो सकता है, जब मनुष्य अपने जीवन में सतोगुण का संग अधिक से अधिक करता हुआ आध्यात्मिक यात्रा आरम्भ करता है, उससे पूर्व नहीं.....सुधीर भाटिया फकीर

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