संसार को सही-सही जानने-समझने के लिए बुद्धि की विशेष जरूरत होती है, जो स्कूल-कॉलेज में जा कर क्रमश: विकसित होती जाती है, जबकि दूसरी ओर परमात्मा को जानने-समझने और पाने के लिए विवेक शक्ति चाहिए, जो केवल निरंतर सत्संग करने से ही जागृत होती है.....सुधीर भाटिया फकीर
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