मनुष्य योनि में ही किये गये सभी सकाम भाव के कर्म-विकर्म लिखे जाते हैं। सकाम कर्म केवल पदार्थ रूपी फल यानी अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थितियां दे कर नष्ट हो जाते हैं, जबकि निष्काम कर्म आध्यात्मिक ज्ञान रूपी फल देते हैं, जो परमात्मा से प्रीति का बीज अंकुरित करवाने में सहायक होते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर
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