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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

मनुष्य योनि पा कर हमें संसारी आकर्षणों की वर्षा में नहाने से सदा ही बचना होगा अर्थात् रजोगुणी भोगो में गहरे तल पर कभी नहीं उतरना चाहिए, अन्यथा सतोगुण का पकड़ा हुआ हाथ कब छूट जाता है, हमें स्वयं को भी पता नहीं चलता, इसलिए अपने जीवन में प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से सत्संग करते रहना चाहिए.....सुधीर भाटिया फकीर

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