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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

मनुष्य योनि परमात्मा का दिया हुआ एक उपहार है। इसे सत्संग करते हुए और अधिक सवारें, न कि कुसंग करते हुए बिगाड़ने में जीवन गवायें यानी मनुष्य को पाप कर्म करने से तो अवश्य ही बचना चाहिए, अन्यथा बड़ा भविष्य ?....सुधीर भाटिया फकीर

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