सँसार में भले ही प्रत्येक राज्य/देशों में अलग-अलग स्तर पर अदालतें बनी रहती हैं, लेकिन परमात्मा द्वारा संचालित एक अदालत का नाम प्रकृति है, जहाँ 8400000 योनियों के असंख्य जीवों द्वारा मनुष्य योनि में ही किए गए पाप-पुण्य कर्मों का फल दिया जाता है, जहाँ देर भी नहीं है और अन्धेर भी नहीं है.....सुधीर भाटिया फकीर
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