Skip to main content

"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

जीवन में निरंतर सत्संग करते रहने का अभ्यास बनाये रखें, ताकि मन में सतोगुण की ज्योत जल ज्ञानरुपी प्रकाश हो, मन में ऐसी ज्योत जलने से ही विषय-भोगों की वासनायें मरने लगती है और विवेक-शक्ति जगने लगती है, जिसके फलस्वरूप परमात्मा की समझ बढ़ने से परमात्मा से प्रीति होने लगती है.....सुधीर भाटिया फकीर

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24