Skip to main content

"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

मनुष्य योनि सतोगुण में वृद्घि करने के लिए यानी सत्संग करने के लिये ही मिली है और सत्संग करते रहने से ही आध्यात्मिक यात्रा आगे बढ़ती है, जिसके अभाव में अक्सर मनुष्य के कर्म दोषपूर्ण ही होते हैं। इसपर  विचार/चिन्तन करते रहना चाहिए.....सुधीर भाटिया फकीर

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24