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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

बेमन से यानी रजोगुणी अवस्था में किये गये सत्सँग का केवल इतना ही लाभ है कि हम अधोगति से बच सकते हैं, यह एक आरंभिक प्रक्रिया है जैसे बच्चे को प्ले/नर्सरी स्कूल भेजा जाता है ताकि बच्चा कुछ सीखने लगे और घर पर करने वाली शैतानियां से बच जाये यानी विषय-भोगों में अधिक आसक्त नहीं होने पाये.....सुधीर भाटिया फकीर

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