मनुष्य अपने जीवन में प्रकृति के गुणों का संग करता हुआ जैसा अपना स्वभाव बना लेता है, फिर उसी दिशा विशेष में मनुष्य द्वारा वैसे ही कर्म अपने आप होने लगते हैं। अक्सर सत्संग के अभाव में मनुष्य का स्वभाव बिगड़ने लगता है, इसलिए मनुष्य को सदा ही सत्संग करते रहना चाहिए.....सुधीर भाटिया फकीर
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