सभी भोगी, योगी मनुष्य व अन्य सभी जीवों का भी मुख्य लक्ष्य सुख की प्राप्ति और दुख से निवृत्ति का ही होता है, लेकिन सत्संग के अभाव में भोगी मनुष्य की दिशा गलत हो जाती है, अर्थात् भोगी मनुष्य भोगों के लिए पाप कर्म करने से भी परहेज नहीं करता, जबकि योगी के जीवन में किसी भी स्थिति में भटकाव नहीं आता.....सुधीर भाटिया फकीर
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