Skip to main content

"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

मनुष्य में निरंतर सत्संग करते रहने से ही हमारे कारण शरीर में शुभ संस्कार बनने लगते हैं और पहले के बने हुए अशुभ संस्कार धीरे-धीरे मिटने/कमजोर होने लगते हैं, जिससे हमारे कर्मों में निष्कामता आने लगती है और भक्ति का बीज अंकुरित होता है, जो हमारी आध्यात्मिक यात्रा को गति प्रदान करता है.....सुधीर भाटिया फकीर

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24