कलयुग में प्राय ऐसा देखा गया है कि लगभग सभी मनुष्य धन कमाने में ही अपना अधिकांश जीवन यूँ ही व्यर्थ गँवा देते हैं, क्योंकि कमाए गए पदार्थों/धन का नाश होना निश्चित है, जबकि भोगने वाली हमारी स्थूल इंद्रियां भी एक सीमा के बाद कमज़ोर होती जाती है.....सुधीर भाटिया फकीर
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