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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

84,00000 योनियो में मनुष्य योनि एक राजा योनि है, जिसमें मनुष्य साधना करते-करते परमात्मा को जान-समझ व पा सकता है, जिसका आरंभ सत्संग करने से ही होता है, लेकिन कलयुग में एक सामान्य मनुष्य सत्संग करने में उदासीन रहता है यानी मनुष्य की सत्संग के प्रति कोई विशेष रुचि नहीं होती, इसलिए मनुष्य मिले हुए अवसर का लाभ नहीं ले पाता.....सुधीर भाटिया फकीर

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