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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

आज का कलयुग यानी दुनिया एक मेले के समान है और मेले की चकाचौंध में अक्सर एक सामान्य मनुष्य विषय-भोगों में ही लिप्त रहता हुआ परमात्मा को भूल जाता है यानी अपने जीवन के मूल लक्ष्य को ही भूल जाता है, इसलिए मनुष्य को अपने जीवन में सदा सत्संग करते रहना चाहिए, ताकि परमात्मा की स्मृति बनी रहे.....सुधीर भाटिया फकीर

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