मनुष्य से नीचे की सभी योनियों के सभी असंख्य जीव जैसे वृक्ष, कीड़े-मकोड़े, कीट-पतंगे, पक्षी व पशु आदि सभी जीवों की यात्रा मनुष्य बनने की ओर हर पल आगे बढ़ ही रही है, लेकिन मनुष्य अज्ञानतावश यानी सत्संग के अभाव में केवल भोगों के लिये ही पाप कर्म/विकर्म करता हुआ दोबारा से इन निकृष्ट योनियों में लौटने का अपना दुर्भाग्य खुद ही बना रहा है.....सुधीर भाटिया फकीर
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