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"सन्ध्या-बेला सन्देश"

प्रकृति के सभी स्थूल शरीर कच्चे घड़े के समान है, जो कभी भी टूट सकते है। इसलिए इस स्थूल शरीर का सदुपयोग करते हुए हमें जीवन में सदा ही सत्संग करते रहना चाहिए, क्योंकि सत्संग करने से ही हमारा सूक्ष्म और कारण शरीर पवित्र होता जाता है.....सुधीर भाटिया फकीर

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