सभी जीवात्माएँ, चाहे चींटी/कबूतर/हाथी या मनुष्य हो, सभी जीवों में सुख पाने की प्रवृत्ति और दुखों से निवृत्ति की इच्छा नित्य/हर क्षण बनी ही बनी रहती है, क्योंकि केवल मनुष्य की ही कर्म योनि है, इसीलिए सभी मनुष्यों को ज्ञानमयी स्थिति में रहते हुए ही सुख प्राप्ति के लिए कर्म करने चाहिए और पाप कर्मों से अवश्य ही बचना चाहिए.....सुधीर भाटिया फकीर
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