Skip to main content

"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

सभी जीवात्माएँ, चाहे चींटी/कबूतर/हाथी या मनुष्य हो, सभी जीवों में सुख पाने की प्रवृत्ति और दुखों से निवृत्ति की इच्छा नित्य/हर क्षण बनी ही बनी रहती है, क्योंकि केवल मनुष्य की ही कर्म योनि है, इसीलिए सभी मनुष्यों को ज्ञानमयी स्थिति में रहते हुए ही सुख प्राप्ति के लिए कर्म करने चाहिए और पाप कर्मों से अवश्य ही बचना चाहिए.....सुधीर भाटिया फकीर

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24