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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

धन और जल दोनों का स्वभाव एक जैसा ही है, जैसे अधिक जल ढलान की ओर गिरने लगता है, वैसे ही मनुष्य के पास अधिक धन आने से मनुष्य के विषय-भोग बढ़ने से मनुष्य के पतन होने की सम्भावनाएं बढ़ जाती हैं। इस कड़वे सत्य पर एक साधारण मनुष्य विचार ही नहीं करता....सुधीर भाटिया फकीर

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