जीवन में स्थाई वैराग्य जितने अनुपात में होगा, फिर उतने ही अनुपात में लिया हुआ ज्ञान मन में टिकता है, फिर टिका हुआ ज्ञान ही मन को प्रभु भक्ति में लगाता है, अन्यथा जीवन में कर्मकाण्ड होते ही दिखाई देते हैं, जिनसे कोई विशेष आध्यात्मिक उन्नति नहीं होती.....सुधीर भाटिया फकीर
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