मनुष्य संसार को जितने करीब से देखता है, उसे संसारी लोगों का असली चेहरा नजर आने लगता है, जबकि दूसरी ओर हम परमात्मा के जितना करीब जाते हैं, परमात्मा की दया का एहसास होने लगता है, फिर भी एक सामान्य मनुष्य सही दिशा का चुनाव नहीं करता ?.....सुधीर भाटिया फकीर
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