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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

एक साधारण मनुष्य अपने वर्तमान जीवन के समय में भूतकाल की यादों में या भविष्य की कल्पनाओं में ही खोया रहता हुआ अपना वर्तमान समय यूँ ही गवांता रहता है, जिसके फलस्वरूप उसके सुन्दर भविष्य का निर्माण नहीं हो पाता, इसलिये अपने जीवन में सात्विकता बढ़ाते जायें, ताकि भविष्य व बडा भविष्य दोनों ही क्रमश: सुन्दर बनते जायें.....सुधीर भाटिया फकीर

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