मन के 5 विकार काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार हैं, जिन पर मनुष्य योनि में ही निरंतर दीर्धकाल तक सत्सँग करते रहने से ही विजय प्राप्त की जा सकती है या सतोगुण के प्रभाव से इन्हें नियन्त्रण में रखा जा सकता है, अन्यथा यह विकार ही मनुष्यों से पाप कर्म करवाते ही रहते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर
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