सभी मनुष्यों में ही नहीं, बल्कि सभी जीवों में भी सुख पाने की प्रवृति और दुखों से निवृति की इच्छा सदा ही बनी रहती है, लेकिन सभी मनुष्यों की अपने धर्म/कर्तव्य निभाने की भी जिम्मेदारी सदा बनी रहती है, ताकि मनुष्य अपने सुख पाने के लिए अन्य किसी भी जीव को पीड़ा न दे, अन्यथा ?.....सुधीर भाटिया फकीर
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