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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

मनुष्य जन्म से नहीं, बल्कि वर्तमान जीवन में अपने स्वभाव, विचारों व कर्मों के आधार पर ही ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र बनता है और फिर मनुष्य अपने बने हुए स्वभाव के अनुसार ही प्रकृति के गुणों का करता है.....सुधीर भाटिया फकीर

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