परमात्मा का ज्ञान-विज्ञान यानी आध्यात्मिक ज्ञान कहीं से भी सुनने को मिले या पढ़ने का मौका मिले, उस अवसर का लाभ उठाना चाहिए, आघ्यात्मिक ज्ञान सदा ही सम्माननीय व पूज्नीय होता है, जो हमारी आत्मा के अज्ञानता रूपी आवरणों को क्रमशः दूर करता है.....सुधीर भाटिया फकीर
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