सभी संसारी विषयों-भोगों के सुख अस्थायी है, जबकि भोगों को भोगने में हमारी सभी इंद्रियां उम्र बढ़ने के साथ-साथ कमजोर होती जाती हैं, ऐसा ज्ञान मन में स्थिर करने पर ही इनके प्रति अरुचि पैदा होती है और स्थायी सुख/आनंद/भगवान से प्रीती होती है, उससे पूर्व नहीं....सुधीर भाटिया फकीर
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