सन्ध्या-बेला सन्देश November 06, 2021 सुखों को भोगने में परमात्मा की स्मृति क्रमश: कम या समाप्त होने ही लगती है, जबकि दुखों में परमात्मा की सहज ही स्मृति आने लगती है, फिर भी अधिकांश मनुष्यों में सुखों की प्राप्ति के लिए ही भाग-दौड़ करते देखा जाता है, इसका अभिप्राय ?.....सुधीर भाटिया फकीर Share Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps Share Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps Comments
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