Skip to main content

ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश

हम सभी मनुष्यों को आवश्यकता और भोग इच्छा के भेद को समझना चाहिए। दाल-रोटी स्थूल शरीर की एक आवश्यकता है, लेकिन सत्संग के अभाव में मन में मलाई-कोफ्ता, रायता, रवीर, अचार, पापड़, कुल्फ़ी आदि की भोग इच्छायें बनने लगती हैं, जो भविष्य में हमें संसारी उलझनों में घकेलती हैं। इसलिए हमें अपने जीवन में आरंभ से ही भोग प्रेरित इच्छाओं से बचना होगा......सुधीर भाटिया फकीर

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24