एक साघारण मनुष्य की रूचि सुख-सुविधा के साधन व स्वाद भरे पदार्थों को भोगने में ही बनी रहती है, जिनको भोगने की सामर्थ्य किसी भी मनुष्य के स्थूल शरीर में सदा बनी नहीं रह सकती और भोग कभी भी मन को शांति नहीं दे सकते, इसपर चिन्तन करें.....सुधीर भाटिया फकीर
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