सभी मनुष्यों को संसारी विषयों-भोगों से बचने के लिए आरम्भ में लोभ या भय से कर्मकांड अवश्य ही करने चाहिए, फिर निरंतर सत्संग करते रहने से एक दिन परमात्मा का विशेष ज्ञान-विज्ञान समझ में आने से कर्मकाण्ड केवल ज्ञानपूर्वक व निष्काम कर्म ही होने लगते हैं, जो हमारी आघ्यात्मिक उन्नति को गति प्रदान करते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर
Comments
Post a Comment