एक साधारण मनुष्य भगवान को लोभ या भयवश कर्मकाण्ड करता हुआ ही जुड़ता है, उसका भगवान से प्रेम नहीं होता, क्योंकि मनुष्य सत्संग के अभाव में परमात्मा के आंनदस्वरूप सत्ता को जान नहीं पाता, इसलिए सर्वप्रथम हमें निरन्तर सत्संग करते रहना चाहिए.....सुधीर भाटिया फकीर
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