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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

मनुष्य योनि में सर्वप्रथम हमें शारीरिक रुप से अपने सभी कर्मों द्वारा सभी मनुष्यों से छ्ल-कपट ठगी रहित व्यवहार रखना होगा व अन्य सभी जीवों पर दया व प्रेम रखना होगा, ऐसा जीवन में निरंतर बने रहने से ही हमारी परमात्मा के प्रति भक्ति आरंभ हो पाती है, अन्यथा नहीं.....सुधीर भाटिया फकीर

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