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सन्घया-बेला सन्देश

अक्सर अघिक धन आने पर सत्संग छूटने लगता है, जबकि घन के चले जाने पर सभी मनुष्यों का सत्संग में मन लगने लगता है। फिर निरंतर सत्संग करते रहने से विवेक शक्ति जागने लगती है, जो संसार से वैराग्य उत्पन्न करने में व परमात्मा से प्रीती करवाने में मदद करती है.....सुधीर भाटिया फकीर

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