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"ब्रह्म-मुहूर्त उपदेश"

मनुष्य योनि में मनुष्य परमात्मा को जान-समझ और जुड़ सकता है। परमात्मा की स्मृति बनाए रखना ही प्रेम है, गहरे प्रेम में ही मनुष्य के आंसू टपकते हैं और भक्तों के आंसू ही उसकी संपत्ति है..... सुधीर भाटिया फकीर

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