Skip to main content

सन्ध्या-बेला सन्देश

कलयुग में प्रायः ऐसा देखा गया है कि अधिकांश मनुष्यों का सत्सँग के प्रति कोई लगाव नहीं होता, इसीलिए जब तक हम मनुष्यों का सुनना ही गहरा नहीं होता, तब तक हमारी सोयी हुई विवेक-शक्ति नहीं जागती और जीवन में सुधार भी नहीं होता.....सुधीर भाटिया फकीर

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24