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सन्ध्या-बेला सन्देश

श्रद्धापूर्वक किया गया सत्संग ही एक समय विशेष में चिंतन या मनन में आ सकता है, फिर निरंतर लंबे समय तक चिंतन होने से ही ज्ञान हमारे आचरण यानी व्यवहार में आने से हमारी परमात्मा से प्रीती होने लगती है.....सुधीर भाटिया फकीर

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