Skip to main content

सन्घया-बेला सन्देश

मनुष्य जीवन भर आनन्द की तलाश में कभी कुछ पकड़ता है, फिर पकड़े हुए को छोड़ देता है, फिर नया कुछ पकड़ता है, अर्थात् मन में सदा एक बेचैनी सी बनी रहती है, जबकि सच्चाई यह है कि भौतिक प्रकृति में दुरव रहित सुख है ही नहीं, तब....? सुधीर भाटिया फकीर

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24