शास्त्रों में आहार या यानी खाना-पीना, मैथुन, सोना/निंद्रा व भय को पशु-वृतियां बताया गया है। यह सभी वृतियां प्रकृति से प्रेरित रहती है, लेकिन मनुष्य योनि पाकर हमें इन पशु-वृतियों से ऊपर उठकर परमात्मा को जानने की जिज्ञासा अवश्य ही करनी चाहिए, अन्यथा ?.....सुधीर भाटिया फकीर
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