एक साधारण मनुष्य में सत्संग के अभाव में रजोगुणी विषय-भोगों को भोगने की एक सहज रूचि बनी ही रहती है, लेकिन मर्यादा से अधिक इन विषय-भोगों को भोगने से अक्सर हमारा स्वभाव बिगड़ता है। इसलिए सात्विक दिनचर्या बनाने के लिए सतो का संग/सत्संग करते रहना चाहिये.....सुधीर भाटिया फकीर
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