सभी मनुष्यों के शरीरों में वृद्धावस्था का आना एक सच्चाई है, जब मनुष्य में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सत्संग करने में कुछ रुचि सहज ही जागने लगती है, भले ही आरंभिक सत्संग बेमन से ही होता है, लेकिन ऐसी स्थिति नियमित रूप से बनने से भी मनुष्य पाप कर्मों से तो बच ही जाता है.....सुधीर भाटिया फकीर
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