सभी मनुष्यों द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है कि अन्धकार में सँसार नजर नहीं आता अर्थात् अन्धकार में हमारा तन ठोकरें खाता है, जबकि इस बात को मनुष्य स्वीकार नहीं करता कि ज्ञान के अभाव में यानी अज्ञानता रुपी अन्धकार में हमारा मन विषय-भोगों की गलियों में भटक जाता है.....सुधीर भाटिया फकीर
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