अक्सर कलयुग में मनुष्यों का लक्ष्य विषय भोगों के लिए धन कमाने का बना ही रहता है, तब हमारे कर्म ही नहीं, बल्कि पाप कर्म भी उसी दिशा में होने की संभावनाएँ बढ़ने लगती हैं, जबकि परमात्मा को पाने का लक्ष्य बन जाने से पाप कर्म होने का तो प्रश्न ही नहीं उठता.....सुधीर भाटिया फकीर
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