Skip to main content

संध्या बेला सन्देश

अपने मिले हुए जीवन में निरंतर सेवा, सत्संग, स्वाध्याय करते रहने से ही मनुष्य अपनी आध्यात्मिक उन्नति को को एक सकारात्मक दिशा दे सकता है, जिसके फलस्वरूप मनुष्य पाप कर्मों से भी बचा रहता है और अपने मिले हुए जीवन को भी सफल व सार्थक कर लेता है.....सुधीर भाटिया फकीर

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24