मोह हमेशा स्वार्थ से प्रेरित होता है, जो स्थूल शरीरों या स्थूल पदार्थों से ही होता है। इसीलिए हमारा मोह आकाश के बादलों के समान एक वस्तु या व्यक्ति में कभी नहीं टिकता, जबकि प्रेम स्वार्थ रहित होता है और भगवान से प्रेम हुए बिना प्रकृति के जीवों से भी प्रेम हो नहीं पाता.....सुधीर भाटिया फकीर
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