84,00000 लाख योनियों में केवल मनुष्य योनि ही कर्म-योनि है। शास्त्रों में बार-बार इस बात को बताया गया है कि मनुष्यों को अपने जीवन में क्या-क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना है यानी विधि-निषेध। विधि/पुण्य कर्म करने से सुख और निषेध/पाप कर्म करने से दुख भोगने ही पड़ते हैं.....सुधीर भाटिया फकीर
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