स्थूल शरीर के स्तर पर अक्सर मनुष्य समाज में रहने वाले अन्य मनुष्यों से अधिक प्रभावित होता हुए ही अधिकांश कर्म करता रहता है। भले ही ऐसे कर्म शास्त्र विरूद्ध ही क्यों न हों और मनुष्य सत्संग के अभाव में अक्सर इन बातों पर चिंतन ही नहीं करता.....सुधीर भाटिया फकीर
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