Skip to main content

संध्या-बेला सन्देश

प्रकृति के अमर्यादित विषय-भोग ही चेतन आत्मा के प्रकाश को ढक देते हैं, भले ही आत्मा स्वभाव से ही ज्ञानवान है, लेकिन माया के रजोगुणी/तमोगुणी भोगों के दूषित संग से आत्मा का प्रकाश ढक जाता है, जो केवल भगवान की भक्ति करने से ही समाप्त होता है.....सुधीर भाटिया फकीर

Comments

Popular posts from this blog

"भोजन/TI+FF+IN《《《《《 मनु" + "ष्य ????? भजन/शास्त्र" -[कक्षा-2591]-सुधीर भाटिया फकीर-20-09-2024

 

वि+वाह =कारण-शरीर/सँस्कार+सूक्ष्म-शरीर/मन, स्थूल-शरीर/भोग?●तलाक●[कक्षा-2595]सुधीर भाटिया फकीर22-9-24

 

आपके जीवन का गणित:- शुद्ध कमाई ?? ऋण/तमो, शून्य/रजो, बचत/सतो-[कक्षा-2657]-सुधीर भाटिया फकीर-23-10-24