कलयुग में एक साधारण मनुष्य की अधिक से अधिक सुखों को भोगने की इच्छा ही मनुष्य को भोग-पदार्थों का संग्रह करने के लिये उकसाती रहती है और पदार्थों का संग्रह करने के दौरान मनुष्य से कब पाप कर्म होने आरंभ हो जाते हैं, मनुष्य को स्वयं भी पता नहीं चलता.....सुधीर भाटिया फकीर
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